THOUGHT OF THE DAY

“हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है।- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन”



Tuesday 26 October 2021

सड़क सुरक्षा के 5 नियम

 सड़क सुरक्षा महीना 2021: सड़क सुरक्षा के 5 नियम जिनका पालन करना चाहिए

भारतीय सड़कों पर जैसे-जैसे वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसी हिसाब से दुर्घटनाओं, टक्कर और मौत का खतरा भी बढ़ रहा है. जहां इन सबकी संभावना बनी रहती है, ऐसे में हम वाहन दुर्घटनाओं में इस परिस्थिति से अपना बचाव  कर सकते हैं. भारत में सड़क पर ट्रैफिक नियमों का उनती सख़्ती से पालन नहीं किया जाता, जिस हिसाब से होना चाहिए जो काफी निराशाजनक है. सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो दुनियाभर में सबसे ज़्यादा मौत भारत में ही होती हैं. इस आंकड़े में बदलाव की असल में ज़रूरत है. 18 जनवरी से 17 फरवरी 2021 तक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा महीना तय किया गया है जहां हम आपको बता रहे हैं 5 सड़क सुरक्षा नियमों के बारे में जिसकी पालन आपको किसी भी हाल में करना चाहिए.

1. पिछली सीट पर सीटबेल्ट और हेलमेट अनिवार्य

अगली सीटों पर बैठे लोगों द्वारा सीटबेल्ट लगाने में ही भारतीयों ने बहुत लंबा समय लिया है. फिर भी रोज़ाना ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं जहां क्रैश के दौरान यात्रियों ने सीटबेल्ट नहीं लगाया होता. सीटबेल्ट नहीं लगाना मोटर व्हीकल ऐक्ट 1988 और सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स 1989 के हिसाब से अपराध है और इस नियम का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्यवाही आप पर की जाएगी. दिल्ली पुलिस ने देश में पहली बार पिछले यात्रियों के लिए भी सीटबेल्ट अनिवार्य कर दिया है और ऐसा ना करने पर रु 1,000 का चालान बनेगा. इसके अलावा दो-पहिया वाहन में पिछली सीट पर बैठे यात्री के लिए हेलमेट लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है. तो बेहतर है कि अपनी जान बचाए रखने के लिए आप हमेशा नियमों का पालन करें.

2. राइट ऑफ वे

अगला नियम जिसे सबसे ज़्यादा नज़अंदाज़ किया जाता है. जिन सड़कों पर सिग्नल या ट्रैफिक पुलिस ना खड़ी हो, वहां आवश्यक है कि आप ज़्यादा चौकन्ने रहें जिससे दुर्घटना से बचा जा सके. नियम यह है कि जब आप किसी मेन रोड से चौराहे पर होते हुए अगली मेन रोड पर पहुंच रहे हों तो सड़क पर चल रहे साथी वाहनों को पर्याप्त जगह उपलब्ध कराएं. इसके अलावा यह कभी ना भूलें कि पैदल यात्रियों के अपने अलग अधिकार होते हैं, ऐसे में आपकी ज़िम्मेदारी बनती है कि हर समय पैदल यात्रियों को जगह दें.

3. तेज़ रफ्तार पसंद है तो ट्रैक पर चलें

सड़क हादसे हमारे देश में बहुत बड़ी समस्या हैं, आप इसकी गंभीरता को शायद ना समझते हों, लेकिन तेज़ रफ्तार वाहन चलाने पर अनुभवी चालक तो वाहन को संभाले रखते हैं, लेकिन यहां कम अनुभवी या नौसिखियों को कई बार अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. पहली बार तेज़ रफ्तार वाहन चलाए जाते हुए अगर आप पकड़े जाते हैं तो दंड के रूप में आपको रु 5,000 का जुर्माना या एक साल तक का कारावास दिया जा सकता है. दूसरी बार ओवर स्पीडिंग के लिए रु 10,000 का जुर्माना तय किया गया है और 6 महीने तक कारावास.

4. स्टॉप लाइन पर रुकें

शहरी और विकसित इलाकों में अब कैमरा का प्रचलन शुरू हो चुका है, ऐसे में जब आप सिग्नल पर रुकते हैं तो स्टॉप लाइन का पूरा ध्यान रखें. यह लाइन दो पट्टियों वाली होती है जिसके साथ पैदल यात्रियों के लिए ज़ैब्रा क्रॉसिंग भी होती है. अगर आप इस लाइन के पार जाकर वाहन रोकते हैं तो आपके खिलाफ रु 100 का जुर्माना लगाया जाएगा. जुर्माना ना भरने की दशा में आपका वाहन जब्त कर लिया जाएगा और चालान चुकाने के बाद ही आपको वापस दिया जाएगा. तो अगली बार सिग्नल पर पहुंचें तो याद रहे कि पीली रेखा से पीछे ही अपने वाहन को खड़ा करें.

5. शराब पी कर वाहन न  चलाएं

शराब के या किसी भी नशे में वाहन चलाना ना सिर्फ आपकी जान के लिए, बल्कि पैदल यात्रियों और बाकी लोगों की जान के लिए भी खतरनाक साबित होता है. कार की स्टीयरिंग अगर नशे में धुत चालक के हाथ में हो तो सड़क क्या, चौराहा क्या, फुटपाथ भी सुरक्षित नहीं होता. ना ऐसा काम करें और ना वो व्यक्ति बनें. अगर आप नशे में वाहन चला रहे हैं और आपके वाहन से किसी व्यक्ति की जान चली जाती है तो आईपीसी सैक्शन 304 के तहत आप खून के जुर्म में अपराधी होंगे. अंडर सैक्शन 185-202 के अंतर्गत वाहन चलाते समय 100 मिली पर 30 मिग्रा ऐल्कोहल आप ले सकते हैं, इससे ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन करने पर आप गिरफ्तार किए जा सकते हैं. चालान की शुरुआत रु 10,000 या 6 महीने की जेल से होती है और दूसरी बार यह गलती करने पर आपका चालान रु 15,000 कर दिया जाएगा.


Thursday 7 October 2021

world mental health day 2021 (10 october 2021)

                           विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021

हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस मनाया जाता है. यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके और मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने 10 अक्तूबर 1992 को की थी. 


विश्व स्वास्थ्य संगठन के पहले महानिदेशक ब्रॉक चिशहोम एक मनोरोग चिकित्सक थे। उनकी एक प्रसिद्ध उक्ति है- "बगैर मानसिक स्वास्थ्य के सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है।" मानसिक तौर पर हमारी थकान हमें तनाव और चिंता की ओर धकेलती है और यही जब ज्यादा बढ़ जाए तो डिप्रेशन यानी अवसाद का रूप ले लेता है। शारीरिक परेशानियों की ओर तो हमारा ध्यान जाता है, लेकिन मानसिक परेशानियों को लेकर हमलोग बहुत जागरूक नहीं होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से ही हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

शारीरिक बीमारी के बारे में तो हम सारी चीजें जानते हैं और साथ ही उसका इलाज भी मिल जाता है लेकिन आज की इस जिंदगी में मानसिक बीमारी एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आती है. दरअसल लोगों को मानसिक स्वास्थ्यके प्रति संवेदनशील और जागरूक करने के उद्देश्य से 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल पर मनाया गया था. इसके बाद साल 1994 में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव के बाद विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को एक थीम के साथ मनाने की शुरुआत की गई. सन् 1994 में पहली बार “दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।” नामक थीम के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था. ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ देशों में मानसिक रोगों से बचने और उनके नुकसान के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह भी मनाया जाता है

क्यों मनाया जाता है विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

आज दुनिया में कई सारे लोग डिप्रेशन या फिर किसी ना किसी और मानसिक बीमारी के शिकार हैं. ये बीमारी आज के दौर में इतनी ज्यादा बढ़ गई है की हर दूसरा व्यक्ति इससे ग्रस्त है. लोगों को मानिसक रोग की चपेट में आने से कई बाहर आत्महत्या का ख्याल भी आता है. ऐसे में विश्व को मेंटल हेल्थ के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से ये दिन मनााया जाता है.

स्वास्थ्य दिवस 2021 की थीम

हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के लिए हर साल अलग-अलग थीम रखी जाती है, इस साल 'Mental Health in an Unequal World“एक असमान दुनिया मे मानसिक स्वास्थ्य” रखी गई है. इसी थीम पर पूरे विश्व में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

सकारात्मक सोच है, तो मानसिक बीमारी दूर है
और जो शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ हैवो सुखी जरूर है











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भारतीय वायुसेना दिवस 2021

 

भारतीय वायुसेना दिवस 2021



Indian Air Force Day 2021 : देश में हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया जाता है। आज भारतीय वायुसेना अपना 89 वां स्थापना दिवस मना रही है। वायुसेना दिवस के मौके पर शानदार परेड और भव्य एयर शो का आयोजन होता है। हर साल की तरह इस बार भी हिंडन बेस पर वायुसेना अपने शौर्य का प्रदर्शन करेगी। वायुसेना के एक से एक विमान और जवान हवा में हैरतअंगेज करतब दिखाते दिखेंगे। 

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 वायुसेना दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में -

8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी इसीलिए हर साल 8 अक्टूबर वायुसेना दिवस मनाया जाता है। देश के स्वतंत्र होने से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) कहा जाता था। 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था। आजादी के बाद वायुसेना के नाम में से "रॉयल" शब्द को हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया था। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी।

आजादी से पहले वायु सेना आर्मी के तहत ही काम करती थी। एयर फोर्स को आर्मी से 'आजाद' करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया था। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।  

गीता से लिया गया है आदर्श वाक्य 

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है- 'नभ: स्पृशं दीप्तम'। यह गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के युद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है।

वायुसेना ध्वज
वायुसेना ध्वज, वायु सेना निशान से अलग, नीले रंग का है जिसके शुरुआती एक चौथाई भाग में राष्ट्रीय ध्वज बना है और बीच के हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों अर्थात्‌ केसरिया, श्वेत और हरे रंग से बना एक वृत्त (गोलाकार आकृति) है। यह ध्वज 1951 में अपनाया गया। 



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