THOUGHT OF THE DAY

“हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है।- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन”



Sunday 5 December 2021

Defensive driving

 

                   रक्षात्मक ड्राइविंग-Defensive driving

          सुरक्षित या रक्षात्मक ड्राइविंग (Driving) का अर्थ है कि जुर्माने, चालान, दुर्घटना, किसी प्रकार के नुकसान, चोट अथवा सडक पर दूसरों के साथ किसी परेशानी के बिना अपने गंतव्य पर सुरक्षित पहुँचना दूसरे शब्दों में जिम्मेदारी और सामान्य ज्ञान के साथ ड्राइविंग करना ड्राइविंग सीखने का मकसद केवल ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना ही नहीं है, बल्कि इसके सही मायने हैं ड्राइविंग की अच्छी आदतों को आत्मसात करना नीचे कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव हैं जो आपको एक सुरक्षित और जिम्मेदार चालक बनने में सहायक सिद्ध होगें –


  • यातायात चिहनों और संकंतों का हर समय पालन करें चाहे कोई न भी देख रहा हो. लाल बत्ती पर अवश्य रुकें रोलिंग स्टॉप (स्टॉप रेखा पर रूककर धीरे-धीरे चलते रहना) इत्यादि जैसी धोखाधडी न करें स्टॉप लाइन स्टॉप सूचक पर पूरो तरह से रुकें । 
  • बाहन चलाते हुए रियरव्यू मिरर व साइड मिरर (दर्पण) नियमित रूप से देखते रहे जिससे आसपास के यातायात की जानकारी रहे । इसी प्रकार दिशा बदलते हुए कंघे के ऊपर से पीछे देखकर ब्लाइंड स्पॉट को अवश्य चैक करें हमेशा अन्य वाहनों, विशेष रूप से बडे ट्रकों के ब्लाइंड स्पॉट के बारे में सावधान रहे तथा दूसरे वाहनो के ब्लाइंड स्पॉट से बाहर रहें ।
  • मुड़ते समय या लेन बदलते समय उचित सकेत दें ।
  • सचेत रहें और लगातार सडक पर संभावित खतरों के प्रति सजग रहे ।
  • शराब या किसी नशीले पदार्थ के प्रभाव में, नींद में अथवा यदि आप थकान महसूस का रहें हों तो वाहन न चलाऐं 
  • ड्राइविंग करते हुए ध्यान भंग होना खतरनाक हो सकता है 1 ड्राइविंग करते हुए कोई अन्य काम फोन पर बात करना, खाना, फिल्म देखना, रेडियो/सीखी. प्लेयर/जी०पी०एस० समायोजित करना, मेकअप करना इत्यादि, कदापि न करें । 
  • अपने वाहन की गति सड़क, मौसम और अन्य परिस्थितियों के अनुसार रखें । 
  • आगे चल रहे वाहन से सटकर (Tailgating) न चलें, बल्कि उससे सुरक्षित दूरी बनाये रखें । आगे वाले वाहन से सुरक्षित दूरी निर्धारित करने के लिए 2 सैकंड नियम का पालन करें ।
  • अपने वाहन को अच्छी हालत में रखें । विंडस्कीन, खिडकियों और दर्पण साफ रखें और टायरों में हवा का दबाव पर्याप्त रखें ।
  • सडक को ट्रक, साइकिल, पैदल यात्री, मोटरसाइकिल और सडक के अन्य उपयोगकर्ताओ के साथ समानता व शिष्टाचार के आधार पर सांझा करें ! 
  • विनम्र बनें और आक्रामक ड्राइविंग न करें । ड्राइविंग कोई प्रतियोगिता नहीं है जिसे जीतना  जरूरी है । वाहन चलाने का प्रयोजन केवल अपने गंतव्य पर सुरक्षित पहुंचना है ।
  • वाहन में सभी यात्रियों को सीट बेल्ट पहनने के लिए प्रेरित करें । शिशुओं और बच्चों को  वाहन की पीछे की सीटों पर बैठाऐँ । उनको आगे बैठाना असुरक्षित हो सकता है
  • वाहन में प्राथमिक चिकित्सा किट हमेशा रखें । 
  • सडक की असमतल और ऊबड़-खावड़ पटरी बारे खास तौर पर सावधान रहें.
  • पशुओं और धीमी गति से चलने वाले वाहनों का ध्यान रखें । उन्हें धीरे-धीरे और तभी पार करें जब  ऐसा करना सुरक्षित हो । 
  • आपातकालीन वाहनों को रास्ता दें और उनका पीछा कभी न करें । आपातकालीन वाहन का  सायरन सुनते ही लेन बदल लें और उन्हें जाने की जगह दें ।
  • दुपहिया वाहन की सवारी करते समय हमेशा हेलमेट पहनें । 
  • मानवरहित रेलवे लाइन को पार करते समय सतर्क रहें । केवल निर्धारित क्रोस्सिंग  से ही रेलवे लाइन को पार करें । रेलगाडी के साथ तेज चलने की स्पर्धा न करें, क्योंकि रेलगाडियॉ प्राय: जितनी दिखती हैं, उससे बहुत तेज गति से चल रही होती हैं । 
  • एक अभिभावक कें रूप में युवा पीढी को सुरक्षित ड्राइविंग के बारे में जागरूक करना आपकी जिम्मेदारी है । उन्हें अच्छी ड्राइविंग करने हेतु प्रोत्साहित करें । याद रखें कि यदि अभिभावक स्वयं सुरक्षित ड्राइविंग के नियमों का पालन नहीं करेगें तो उनके किशोर बच्चे भी उनका ही अनुसरण करेगें । 
  • उम्र बढने के साथ-साथ व्यक्ति की नजर कमजोर हो जाती है, शरीर में शक्ति और लचीलापन कम हो जाता है तथा प्रतिक्रिया सुस्त हो जाती हैं । ऐसे शारीरिक और मानसिक परिवर्तन ड्राइविंग को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए अपनी शारीरिक विशेषकर आँखों की नियमित रूप से जॉच करवाएँ । यदि आप कोई दवा लेते हैं. तो अपने ड्राइविंग कौशल  और दृष्टि पर उसके प्रभाव बारे पता कर लें
  • बच्चों को वाहनों के अन्दर या आसपास खेलने अथवा वाहन की डिग्गी में छुपने के  खतरों के बारे में अवश्य बतायें। कोई बच्चा गायब हो जाये, तो अपने वाहन  और उसकी डिग्गी  को तुरन्त चैक करें ।
  • बच्चों या पालतू जानवरों को कभी भी वाहन में अकेला न छोडें, चाहे आप थोडे समय के लिए ही वाहन से दूर जा रहे हों । 
  • पैदल चलने वालों के लिए रुकें और उन्हें पहले जाने दें । इसी प्रकार बच्चों का खास ध्यान रखें, विशेष रूप से आवासीय क्षेत्रों में तथा स्कूलों व स्कूल बसों के आस-पास बच्चे अचानक आपके रास्ते में आ सकते है ।

Monday 15 November 2021

योग ध्यान

 

                                   योग ध्यान

योग ध्यान (Yoga Meditation) पृथ्वी पर सबसे प्राचीन ध्यान परंपराओं में से एक है और इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीके भी हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि इसमें ध्यान और आध्यात्मिक गुण भी शामिल है। इस प्रकार, योग ध्यान न केवल शरीर के लिए फायदेमंद साबित होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी बढ़ाता है। योग और ध्यान एक-दूसरे के पूरक हैं!

तो यह ध्यान तकनीक कैसे काम करती है? खैर, योग ध्यान आपके दिमाग को शांत और नियंत्रित करने के बारे में है। यह तकनीक आपके वास्तविक स्वयं की खोज करने और शांति और एकाग्रता लाने में प्रभावी है। योग साधना के माध्यम से आप अपने विचारों को जितना अधिक शांत कर सकते हैं, उतनी ही अधिक आपको वास्तविक उपस्थिति की अनुभूति होगी। आमतौर पर योगा के माध्यम से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है। योग एक बहुत समृद्ध परंपरा है जिसमें विभिन्न प्रकार हैं और इसलिए कई ध्यान तकनीक हैं। योग ध्यान के कई प्रकार हैं। कुछ लोकप्रिय प्रकार हैं- चक्र ध्यान, मंत्र ध्यान, क्रिया योग, ध्वनि ध्यान, त्रिक चक्र ध्यान, कुंडलिनी ध्यान, प्राणायाम। 

योग ध्यान का विज्ञान

 योग ध्यान (Yoga Meditation) से मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र और हमारे इम्यून सिस्टम पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है। योग ध्यान के अभ्यास से हमारे ध्यान को केंद्रित करने, भावनाओं के बारे में अधिक जागरूक होने और भावनाओं एवं विचारों को मन के माध्यम से स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की हमारी क्षमता बढ़ जाती है। इसका व्यक्ति पर मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है। योग माइंडफुलनेस, तनाव पैदा करने वाले विचारों और भावनाओं को पहचानने में मदद करता है, जो आगे तनावपूर्ण स्थितियों के लिए भावनात्मक और शारीरिक प्रतिक्रिया को विनियमित करने में मदद करता है।

योग साधना कैसे करें

योग ध्यान का पहला चरण नियमित अभ्यास करना है। लेकिन, योग ध्यान को कैसे किया जाए, इसके बारे में कई लोगों के मन दुविधा बनी रहती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि गंभीर योगी जीवन भर ध्यान की कला का सम्मान करते हैं। इस ध्यान तकनीक को प्राप्त करने की कुंजी यह है कि अपने विचारों को किसी विशिष्ट पर केंद्रित करें। इसकी शुरुआत 5 मिनट के अभ्यास से शुरू हो सकती है, जो 20 मिनट तक और अंततः एक घंटे तक काम कर सकती है।

योग ध्यान का अभ्यास कैसे करें

  • सर्वप्रथम ध्यान के लिए किसी शांत और स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण का चयन कर लें। 
  • शुरुआत में हल्के व्यायाम और शारीरिक गतिविधि करें। एक छोटा सा वार्म-अप आपके शरीर को आराम करने के लिए तैयार करेगा और ध्यान केंद्रित करने के लिए फायदेमंद साबित होगा।
  • अपनी सुविधानुसार आप कुर्सी या फर्श पर बैठ सकते हैं, क्योंकि किसी आरामदायक मुद्रा में बैठना उचित रहता है। 
  • इसके बाद गहरी श्वास लेने की तकनीक का अभ्यास करें, जो कि ध्यान सेशन की तैयारी का एक शानदार तरीका है।
  • अब जब सारी तैयारी और ग्राउंडवर्क हो चुका है, तब किसी साधारण वस्तु पर ध्यान को केंद्रित करने की कोशिश करें। जैसे कि मोमबत्ती की लौ या कागज पर कोई बिंदी।
  • शुरुआत में, आप ध्यान से बाहर आने के लिए एक अलार्म सेट कर सकते हैं।
  • ध्यान सूर्योदय से पहले करना उत्तम माना जाता है। 
  • साथ ही खाली पेट या खाना खाने के कुछ घंटों के बाद ध्यान करना उचित माना जाता है।
  •                              योग ध्यान के लाभ

  • योग ध्यान आत्म-जागरूकता लाता है, चेतना और उच्च बुद्धि विकसित करता है।
    अंतर्ज्ञान को मजबूत करता है, आंतरिक जागरूकता और सही-गलत का निर्णय लेने की क्षमता भी पैदा करता है।
    यह आपके मस्तिष्क को तेज और स्पष्ट रखकर मानसिक स्पष्टता प्रदान करता है।
    यह भावनाओं को शांत करता है और क्षमा और प्रेम की भावनाओं को विकसित कर देता है।
    यह हृदय संबंधी रोगों को कम करता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है, मन और मस्तिष्क के बीच संतुलन बनाकर रखता है। 
    नियमित रूप से कुछ मिनटों का ध्यान आपकी मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाता है और आपके पूरे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
    यह ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है।
    योग ध्यान (Yoga Meditation) आपकी सभी इंद्रियों का कायाकल्प करता है।
    इसलिए आप अपने मन और शरीर को देखभाल और पोषण दें, जो दैनिक आधार पर कुछ मिनटों के योग ध्यान से अवश्य संभव है।  





Friday 5 November 2021

विचलित ड्राइविंग

विचलित ड्राइविंग क्या है?( Distracted driving)


विचलित ड्राइविंग कोई भी गतिविधि है जो ड्राइविंग से ध्यान हटाती है, जिसमें आपके फोन पर बात करना या टेक्स्ट करना, खाना-पीना, अपने वाहन में लोगों से बात करना, स्टीरियो, मनोरंजन या नेविगेशन सिस्टम के साथ काम करना शामिल है - ऐसा कुछ भी जो आपका ध्यान कार्य से दूर ले जाता है सावधानी से चलना। 

टेक्स्टिंग सबसे खतरनाक व्याकुलता है। टेक्स्ट भेजने या पढ़ने से आपकी नजर 5 सेकंड के लिए सड़क से हट जाती है। 55 मील प्रति घंटे की रफ्तार से, यह पूरे फुटबॉल मैदान की लंबाई को अपनी आंखें बंद करके चलाने जैसा है।

आप तब तक सुरक्षित ड्राइव नहीं कर सकते जब तक कि ड्राइविंग के काम में आपका पूरा ध्यान न हो। कोई भी गैर-ड्राइविंग गतिविधि जिसमें आप संलग्न हैं, एक संभावित व्याकुलता है और आपके दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।




शामिल हो-

हम सभी विचलित ड्राइविंग को समाप्त करके जीवन बचाने की लड़ाई में एक भूमिका निभा सकते हैं।

किशोर

किशोर अपने साथियों के साथ सबसे अच्छे संदेशवाहक हो सकते हैं, इसलिए हम उन्हें प्रोत्साहित करते हैं कि जब वे किसी मित्र को विचलित होते हुए गाड़ी चलाते हुए देखें, तो वे अपने दोस्तों को विचलित(distracted) न होने की प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करें, अपने स्थानीय छात्रों के खिलाफ विनाशकारी निर्णय अध्याय में शामिल होने के लिए, और सोशल मीडिया पर संदेश साझा करने के लिए जो उनके दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों को याद दिलाते हैं कि विचलित होकर ड्राइव करने के लिए घातक विकल्प न बनाएं।

माता - पिता

माता-पिता को पहले उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करना होगा - कभी भी विचलित न होकर ड्राइविंग करना - साथ ही साथ अपने युवा ड्राइवर के साथ व्याकुलता और ड्राइविंग के साथ आने वाली सभी जिम्मेदारियों के बारे में बात करें। क्या परिवार के सभी सदस्यों ने ध्यान भंग मुक्त ड्राइविंग के संकल्प पर हस्ताक्षर किए हैं। अपने किशोर ड्राइवर को याद दिलाएं कि स्नातक ड्राइवर लाइसेंस (जीडीएल) वाले राज्यों में, विचलित-ड्राइविंग कानूनों के उल्लंघन का मतलब विलंबित या निलंबित लाइसेंस हो सकता है।

शिक्षक और नियोक्ता

शिक्षक और नियोक्ता भी एक भूमिका निभा सकते हैं। विचलित ड्राइविंग के खतरों के बारे में अपने स्कूल या कार्यस्थल पर प्रचार करें। अपने छात्रों से विचलित-मुक्त ड्राइविंग के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए कहें या विचलित ड्राइविंग पर कंपनी की नीति निर्धारित करें।

अपनी आवाज सुने

यदि आप विचलित ड्राइविंग के बारे में दृढ़ता से महसूस करते हैं, तो स्थानीय कानूनों का समर्थन करके, सामुदायिक बैठकों में बोलकर, और सोशल मीडिया पर और अपने स्थानीय ऑप- एड पृष्ठों में विचलित ड्राइविंग के खतरों को उजागर करके अपने समुदाय में एक आवाज बनें।

Distractions while driving-



Tuesday 26 October 2021

सड़क सुरक्षा के 5 नियम

 सड़क सुरक्षा महीना 2021: सड़क सुरक्षा के 5 नियम जिनका पालन करना चाहिए

भारतीय सड़कों पर जैसे-जैसे वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसी हिसाब से दुर्घटनाओं, टक्कर और मौत का खतरा भी बढ़ रहा है. जहां इन सबकी संभावना बनी रहती है, ऐसे में हम वाहन दुर्घटनाओं में इस परिस्थिति से अपना बचाव  कर सकते हैं. भारत में सड़क पर ट्रैफिक नियमों का उनती सख़्ती से पालन नहीं किया जाता, जिस हिसाब से होना चाहिए जो काफी निराशाजनक है. सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो दुनियाभर में सबसे ज़्यादा मौत भारत में ही होती हैं. इस आंकड़े में बदलाव की असल में ज़रूरत है. 18 जनवरी से 17 फरवरी 2021 तक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा महीना तय किया गया है जहां हम आपको बता रहे हैं 5 सड़क सुरक्षा नियमों के बारे में जिसकी पालन आपको किसी भी हाल में करना चाहिए.

1. पिछली सीट पर सीटबेल्ट और हेलमेट अनिवार्य

अगली सीटों पर बैठे लोगों द्वारा सीटबेल्ट लगाने में ही भारतीयों ने बहुत लंबा समय लिया है. फिर भी रोज़ाना ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं जहां क्रैश के दौरान यात्रियों ने सीटबेल्ट नहीं लगाया होता. सीटबेल्ट नहीं लगाना मोटर व्हीकल ऐक्ट 1988 और सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स 1989 के हिसाब से अपराध है और इस नियम का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्यवाही आप पर की जाएगी. दिल्ली पुलिस ने देश में पहली बार पिछले यात्रियों के लिए भी सीटबेल्ट अनिवार्य कर दिया है और ऐसा ना करने पर रु 1,000 का चालान बनेगा. इसके अलावा दो-पहिया वाहन में पिछली सीट पर बैठे यात्री के लिए हेलमेट लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है. तो बेहतर है कि अपनी जान बचाए रखने के लिए आप हमेशा नियमों का पालन करें.

2. राइट ऑफ वे

अगला नियम जिसे सबसे ज़्यादा नज़अंदाज़ किया जाता है. जिन सड़कों पर सिग्नल या ट्रैफिक पुलिस ना खड़ी हो, वहां आवश्यक है कि आप ज़्यादा चौकन्ने रहें जिससे दुर्घटना से बचा जा सके. नियम यह है कि जब आप किसी मेन रोड से चौराहे पर होते हुए अगली मेन रोड पर पहुंच रहे हों तो सड़क पर चल रहे साथी वाहनों को पर्याप्त जगह उपलब्ध कराएं. इसके अलावा यह कभी ना भूलें कि पैदल यात्रियों के अपने अलग अधिकार होते हैं, ऐसे में आपकी ज़िम्मेदारी बनती है कि हर समय पैदल यात्रियों को जगह दें.

3. तेज़ रफ्तार पसंद है तो ट्रैक पर चलें

सड़क हादसे हमारे देश में बहुत बड़ी समस्या हैं, आप इसकी गंभीरता को शायद ना समझते हों, लेकिन तेज़ रफ्तार वाहन चलाने पर अनुभवी चालक तो वाहन को संभाले रखते हैं, लेकिन यहां कम अनुभवी या नौसिखियों को कई बार अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. पहली बार तेज़ रफ्तार वाहन चलाए जाते हुए अगर आप पकड़े जाते हैं तो दंड के रूप में आपको रु 5,000 का जुर्माना या एक साल तक का कारावास दिया जा सकता है. दूसरी बार ओवर स्पीडिंग के लिए रु 10,000 का जुर्माना तय किया गया है और 6 महीने तक कारावास.

4. स्टॉप लाइन पर रुकें

शहरी और विकसित इलाकों में अब कैमरा का प्रचलन शुरू हो चुका है, ऐसे में जब आप सिग्नल पर रुकते हैं तो स्टॉप लाइन का पूरा ध्यान रखें. यह लाइन दो पट्टियों वाली होती है जिसके साथ पैदल यात्रियों के लिए ज़ैब्रा क्रॉसिंग भी होती है. अगर आप इस लाइन के पार जाकर वाहन रोकते हैं तो आपके खिलाफ रु 100 का जुर्माना लगाया जाएगा. जुर्माना ना भरने की दशा में आपका वाहन जब्त कर लिया जाएगा और चालान चुकाने के बाद ही आपको वापस दिया जाएगा. तो अगली बार सिग्नल पर पहुंचें तो याद रहे कि पीली रेखा से पीछे ही अपने वाहन को खड़ा करें.

5. शराब पी कर वाहन न  चलाएं

शराब के या किसी भी नशे में वाहन चलाना ना सिर्फ आपकी जान के लिए, बल्कि पैदल यात्रियों और बाकी लोगों की जान के लिए भी खतरनाक साबित होता है. कार की स्टीयरिंग अगर नशे में धुत चालक के हाथ में हो तो सड़क क्या, चौराहा क्या, फुटपाथ भी सुरक्षित नहीं होता. ना ऐसा काम करें और ना वो व्यक्ति बनें. अगर आप नशे में वाहन चला रहे हैं और आपके वाहन से किसी व्यक्ति की जान चली जाती है तो आईपीसी सैक्शन 304 के तहत आप खून के जुर्म में अपराधी होंगे. अंडर सैक्शन 185-202 के अंतर्गत वाहन चलाते समय 100 मिली पर 30 मिग्रा ऐल्कोहल आप ले सकते हैं, इससे ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन करने पर आप गिरफ्तार किए जा सकते हैं. चालान की शुरुआत रु 10,000 या 6 महीने की जेल से होती है और दूसरी बार यह गलती करने पर आपका चालान रु 15,000 कर दिया जाएगा.


Thursday 7 October 2021

world mental health day 2021 (10 october 2021)

                           विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021

हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस मनाया जाता है. यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके और मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने 10 अक्तूबर 1992 को की थी. 


विश्व स्वास्थ्य संगठन के पहले महानिदेशक ब्रॉक चिशहोम एक मनोरोग चिकित्सक थे। उनकी एक प्रसिद्ध उक्ति है- "बगैर मानसिक स्वास्थ्य के सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है।" मानसिक तौर पर हमारी थकान हमें तनाव और चिंता की ओर धकेलती है और यही जब ज्यादा बढ़ जाए तो डिप्रेशन यानी अवसाद का रूप ले लेता है। शारीरिक परेशानियों की ओर तो हमारा ध्यान जाता है, लेकिन मानसिक परेशानियों को लेकर हमलोग बहुत जागरूक नहीं होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से ही हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

शारीरिक बीमारी के बारे में तो हम सारी चीजें जानते हैं और साथ ही उसका इलाज भी मिल जाता है लेकिन आज की इस जिंदगी में मानसिक बीमारी एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आती है. दरअसल लोगों को मानसिक स्वास्थ्यके प्रति संवेदनशील और जागरूक करने के उद्देश्य से 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल पर मनाया गया था. इसके बाद साल 1994 में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव के बाद विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को एक थीम के साथ मनाने की शुरुआत की गई. सन् 1994 में पहली बार “दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।” नामक थीम के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था. ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ देशों में मानसिक रोगों से बचने और उनके नुकसान के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह भी मनाया जाता है

क्यों मनाया जाता है विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

आज दुनिया में कई सारे लोग डिप्रेशन या फिर किसी ना किसी और मानसिक बीमारी के शिकार हैं. ये बीमारी आज के दौर में इतनी ज्यादा बढ़ गई है की हर दूसरा व्यक्ति इससे ग्रस्त है. लोगों को मानिसक रोग की चपेट में आने से कई बाहर आत्महत्या का ख्याल भी आता है. ऐसे में विश्व को मेंटल हेल्थ के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से ये दिन मनााया जाता है.

स्वास्थ्य दिवस 2021 की थीम

हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के लिए हर साल अलग-अलग थीम रखी जाती है, इस साल 'Mental Health in an Unequal World“एक असमान दुनिया मे मानसिक स्वास्थ्य” रखी गई है. इसी थीम पर पूरे विश्व में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

सकारात्मक सोच है, तो मानसिक बीमारी दूर है
और जो शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ हैवो सुखी जरूर है











.





भारतीय वायुसेना दिवस 2021

 

भारतीय वायुसेना दिवस 2021



Indian Air Force Day 2021 : देश में हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया जाता है। आज भारतीय वायुसेना अपना 89 वां स्थापना दिवस मना रही है। वायुसेना दिवस के मौके पर शानदार परेड और भव्य एयर शो का आयोजन होता है। हर साल की तरह इस बार भी हिंडन बेस पर वायुसेना अपने शौर्य का प्रदर्शन करेगी। वायुसेना के एक से एक विमान और जवान हवा में हैरतअंगेज करतब दिखाते दिखेंगे। 

.
 वायुसेना दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में -

8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी इसीलिए हर साल 8 अक्टूबर वायुसेना दिवस मनाया जाता है। देश के स्वतंत्र होने से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) कहा जाता था। 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था। आजादी के बाद वायुसेना के नाम में से "रॉयल" शब्द को हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया था। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी।

आजादी से पहले वायु सेना आर्मी के तहत ही काम करती थी। एयर फोर्स को आर्मी से 'आजाद' करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया था। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।  

गीता से लिया गया है आदर्श वाक्य 

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है- 'नभ: स्पृशं दीप्तम'। यह गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के युद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है।

वायुसेना ध्वज
वायुसेना ध्वज, वायु सेना निशान से अलग, नीले रंग का है जिसके शुरुआती एक चौथाई भाग में राष्ट्रीय ध्वज बना है और बीच के हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों अर्थात्‌ केसरिया, श्वेत और हरे रंग से बना एक वृत्त (गोलाकार आकृति) है। यह ध्वज 1951 में अपनाया गया। 



Wednesday 8 September 2021

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवनी

 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवनी - Biography of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan





पूरा नामडॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
धर्म/जातिहिन्दू/ब्राह्मणपद
जन्म5 सितम्बर 1888
जन्म स्थानतिरुमनी गाँव, मद्रास
माता-पितासिताम्मा, सर्वपल्ली विरास्वामी
विवाहसिवाकमु (1904)
मृत्यु17 अप्रैल 1975

.डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के छोटे से गांव तिरुमनी में ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी था, वे विद्वान ब्राम्हण थे. इनके पिता के ऊपर पुरे परिवार की जिम्मदारी थी, इस कारण राधाकृष्णन को बचपन से ही ज्यादा सुख सुविधा नहीं मिली. राधाकृष्णन ने 16 साल की उम्र में अपनी दूर की चचेरी बहन सिवाकमु से शादी कर ली. जिनसे उन्हें 5 बेटी व 1 बेटा हुआ. इनके बेटे का नाम सर्वपल्ली गोपाल है, जो भारत के महान इतिहासकारक थे. राधाकृष्णन जी की पत्नी की मौत 1956 में हो गई थी.

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की शिक्षा

डॉ राधाकृष्णन का बचपन तिरुमनी गांव में ही व्यतीत हुआ. वहीं से इन्होंने अपनी शिक्षा की प्रारंभ की. आगे की शिक्षा के लिए इनके पिता जी ने क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरुपति में दाखिला करा दिया. जहां वे 1896 से 1900 तक रहे. सन 1900 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वेल्लूर के कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की. तत्पश्चात मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास से अपनी आगे की शिक्षा पूरी की. वह शुरू से ही एक मेंधावी छात्र थे. इन्होंने 1906 में दर्शन शास्त्र में M.A किया था. राधाकृष्णन जी को अपने पुरे जीवन शिक्षा के क्षेत्र में स्कालरशिप मिलती रही.

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन 

भारत की आजादी के बाद यूनिस्को में उन्होंने देश का प्रतिनिदितिव किया। 1949 से लेकर 1952 तक राधाकृष्णन सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे। वर्ष 1952 में उन्हें देश का पहला उपराष्ट्रपति बनाया गया। सन 1954 में उन्हें भारत रत्न देकर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात 1962 में उन्हें देश का दूसरा राष्ट्रपति चुना गया। जब वे राष्ट्रपति पद पर आसीन थे उस वक्त भारत का चीन और पाकिस्तान से युध्द भी हुआ। वे 1967में राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हुए और मद्रास जाकर बस गये।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन को स्वतन्त्रता के बाद संविधान  निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया था। शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए राधाकृष्णन को वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1967 के गणतंत्र दिवस पर देश को सम्बोधित करते हुए उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि वह अब किसी भी सत्र के लिए राष्ट्रपति नहीं बनना चाहेंगे और बतौर राष्ट्रपति ये उनका आखिरी भाषण था।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का निधन 17 अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद हो गया राधाकृष्णन के मरणोपरांत उन्हें मार्च 1975 में अमेरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाले यह प्रथम गैर-ईसाई सम्प्रदाय के व्यक्ति थे। डॉक्टर राधाकृष्णन के पुत्र डॉक्टर एस. गोपाल ने 1989 में उनकी जीवनी का प्रकाशन भी किया।

उनके विद्यार्थी जीवन में कई बार उन्हें शिष्यवृत्ति स्वरुप पुरस्कार मिले। उन्होंने वूरहीस महाविद्यालय, वेल्लोर जाना शुरू किया लेकिन बाद में 17 साल की आयु में ही वे मद्रास क्रिस्चियन महाविद्यालय चले गये। जहा 1906 में वे स्नातक हुए और बाद में वही से उन्होंने दर्शनशास्त्र में अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की। उनकी इस उपलब्धि ने उनको उस महाविद्यालय का एक आदर्श विद्यार्थी बनाया।

दर्शनशास्त्र में राधाकृष्णन अपनी इच्छा से नहीं गये थे उन्हें अचानक ही उसमे प्रवेश लेना पड़ा। उनकी आर्थिक स्थिति ख़राब हो जाने के कारण जब उनके एक भाई ने उसी महाविद्यालय से पढाई पूरी की तभी मजबूरन राधाकृष्णन को आगे उसी की दर्शनशास्त्र की किताब लेकर आगे पढना पड़ा।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मिले पुरस्कार

•  1938 ब्रिटिश अकादमी के सभासद के रूप में नियुक्ति।

•  1954 नागरिकत्व का सबसे बड़ा सम्मान, “भारत रत्न”।

•  1954 जर्मन के, “कला और विज्ञानं के विशेषग्य”।

•  1961 जर्मन बुक ट्रेड का “शांति पुरस्कार”।

•  1962 भारतीय शिक्षक दिन संस्था, हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिन के रूप में मनाती है।

•  1963 ब्रिटिश आर्डर ऑफ़ मेरिट का सम्मान।

•  1968 साहित्य अकादमी द्वारा उनका सभासद बनने का सम्मान (ये सम्मान पाने वाले वे पहले व्यक्ति थे)।

•  1975 टेम्पलटन पुरस्कार। अपने जीवन में लोगो को सुशिक्षित बनाने, उनकी सोच बदलने और लोगो में एक-दुसरे के प्रति प्यार बढ़ाने और एकता बनाये रखने के लिए दिया गया। जो उन्होंने उनकी मृत्यु के कुछ महीने पहले ही, टेम्पलटन पुरस्कार की पूरी राशी ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय को दान स्वरुप दी।

•  1989 ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा रशाकृष्णन की याद में “डॉ. राधाकृष्णन शिष्यवृत्ति संस्था” की स्थापना।

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा लिखे गए पुस्तके

•  द एथिक्स ऑफ़ वेदांत.

•  द फिलासफी ऑफ़ रवीन्द्रनाथ टैगोर.

•  माई सर्च फॉर ट्रूथ.

•  द रेन ऑफ़ कंटम्परेरी फिलासफी.

•  रिलीजन एंड सोसाइटी.

•  इंडियन फिलासफी.

•  द एसेंसियल ऑफ़ सायकलॉजी.

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु

17 अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद डॉ राधाकृष्णन का निधन हो गया. शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान हमेंशा याद किया जाता है. इसलिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाकर डॉ.राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है.

राधाकृष्णन को मरणोपरांत 1975 में अमेंरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाले यह प्रथम गैर-ईसाई सम्प्रदाय के व्यक्ति थे.

Wednesday 1 September 2021

स्वच्छ भारत अभियान

  स्वच्छ भारत अभियान


स्वच्छ भारत अभियान क्या है

हमारे देश को स्वच्छ बनाने के लिए भारत सरकार ने एक नई योजना निकाली है जिसका नाम स्वच्छ भारत अभियान रखा गया है। इस अभियान के तहत सभी देशवासियों को इसमें शामिल होने के लिए कहा गया है। यह अभियान आधिकारिक रूप से 1999 से चला रहा है पहले इसका नाम ग्रामीण स्वच्छता अभियान था  लेकिन सरकार ने इसका पुनर्गठन करते हुए इसका नाम पूर्ण स्वच्छता अभियान कर दिया था।

स्वच्छ भारत अभियान का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती पर किया था। क्योंकि गांधी जी का सपना था कि हमारा देश भी विदेशों की तरह पूर्ण स्वस्थ और निर्मल दिखाई दे।  इस बात को मध्य नजर रखते हुए प्रधानमंत्री जी ने उन्हीं के जन्मदिवस पर इस अभियान की शुरुआत दिल्ली के राजघाट से की थी।

स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य

स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसके अंतर्गत हमारे पूरे देश को स्वच्छ करने का लक्ष्य लिया गया है।

  1. इस अभियान का प्रथम उद्देश्य है कि  देश का कोना कोना साफ सुथरा हो।
  2. लोगों को बाहर खुले में शौच करने से रोका जाए।
  3. भारत के हर शहर और ग्रामीण इलाकों के घरों में शौचालय का निर्माण करवाया जाए।
  4. शहर और गांव की प्रत्येक सड़क गली और मोहल्ले साफ-सुथरे हो।
  5. हर एक गली में कम से कम एक कचरा पात्र आवश्यक रूप से लगाया जाए।

स्वच्छ भारत अभियान की जरूरत क्यों पड़ी

स्वच्छता अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्रेरित करना है। लोग धीरे धीरे साफ सफाई की अहमियत भुलते जा रहे है। जहाँ देखो वही पर कूड़ा पर फेंक देते है जो कि हमारे स्वास्थय को बहुत हानि पहुँचाता है और आस पास की सुंदरता को भी कम करता है। खुले में कूड़ा फेंकने से भूमि की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है। लोगों को गंदगी से होने वाली बिमारी से अवगत कराने और स्वच्छता का महत्व समझाने के लिए ही स्वच्छ भारत अभियान की जरूरत महसूस हुई।

स्वच्छता के लिए उठाए गए कदम-

1. खुले में शोच पर भी सरकार ने बैन लगाया है और बहुत से शोचालयों का निर्माण करवाया ताकि खुले में शोच पर मक्खियाँ न बैठे और बिमारी न फैले।
2. गलियों की और सड़को की सफाई सही ढंग से करने के लिए सफाई कर्मचारी नियुक्त किए गए है जो नियमित रुप से सफाई करने आते है।
3. जगह जगह पर कूड़ेदान रखे गए है और घरों को और दुकानों का कूड़ा लाने के लिए गाड़ी भेजी जाती है। अलग तरह के कूड़े के लिए अलग रंग के कूड़ेदान रखे गए है।
4. बहुत सी टीमों द्वारा जगह जगह जाकर कैंप भी लगाए गए ।

स्वच्छता अभियान के लाभ

 सरकार द्वारा चलाए गए इस अभियान से लोग साफ सफाई के लिए काफी जागरूक हुए है। स्वच्छता हमारे जीवन पर सीधा असर डालती है। साफ सफाई से हमें बहुत से लाभ हुए है-

1. हम आज स्वच्छ वातावरण में जी रहे हैं। सब जगह सफाई के कारण हमारा पर्यावरण बहुत ही स्वच्छ होता जा रहा है।
2. स्वच्छता की वजह से बिमारी कम फैल रही है और लोग स्वस्थ होते जा रहे है।न गंदगी होगी न बिमारी होगी।
3. जब आस पास कूड़ा कचरा नहीं होगा तो सब कुछ बहुत ही सुंदर दिखने लगता है।

 

Sunday 18 July 2021

NELSON MENDELA DAY 2021

 

NELSON MANDELA INTERNATIONAL DAY- 18 JULY

 It is easy to break down and destroy, the heroes are those who make peace and build.  - Nelson Mandel

Theme of Nelson Mandela International Day 2021

  "One Hand Can Feed Another."

                   

The UN General Assembly (UNGA) declared 18 July as “Nelson Mandela International Day,” in recognition of the contributions made by Nelson Mandela, the former South African President, to the culture of peace and freedom.

In the Resolution establishing this international day (A/RES/64/13), UNGA recognized Mandela’s values and his dedication to the service of humanity in: conflict resolution; race relations; promotion and protection of human rights; reconciliation; gender equality and the rights of children and other vulnerable groups; the fight against poverty; the promotion of social justice. The resolution also acknowledged his contribution to the struggle for democracy internationally and the promotion of a culture of peace throughout the world.

In December 2015, the UNGA decided to extend the scope of Nelson Mandela International Day to also be used to promote humane conditions of imprisonment, raise awareness about prisoners being a continuous part of society, and to value the work of prison staff as a social service of particular importance. It adopted (A/RES/70/175) the revised United Nations Standard Minimum Rules for the Treatment of Prisoners and approved that they should be known as the “Nelson Mandela Rules.”

         

Nelson Rolihlahla Mandela was a South African anti-
apartheid revolutionary, statesman and philanthropist who served as President of South Africa from 1994 to 1999. He was the country's first black head of state and the first elected in a fully representative democratic election.

He was born on 18 July  1918 and died on 5 December 2013.

In remembrance of Late Mr. Nelson  Mandela...



Tuesday 13 July 2021

World Population Day 2021 --11 JULY 2021



World Population Day 2021


World Population Day 2021: क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस? जानें इसका इतिहास और महत्व


वर्ल्डोमीटर्स के मुताबिक, इस समय दुनिया की कुल जनसंख्या सात अरब 87 करोड़ 85 लाख से भी अधिक है। हर दिन लाखों की संख्या में जनसंख्या बढ़ रही है। फिलहाल दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश चीन है, जबकि दूसरे स्थान पर भारत है।

दुनियाभर में बढ़ती जनसंख्या परेशानी का एक बड़ा कारण बन गई है। इसकी वजह से अशिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी और गरीबी अनियंत्रित होती जा रही है। वर्ल्डोमीटर्स के मुताबिक, इस समय दुनिया की कुल जनसंख्या सात अरब 87 करोड़ 85 लाख से भी अधिक है। हर दिन लाखों की संख्या में जनसंख्या बढ़ रही है। फिलहाल दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश चीन है, जबकि दूसरे स्थान पर भारत है। चीन की जनसंख्या जहां एक अरब 44 करोड़ से अधिक है, तो वही भारत की जनसंख्या एक अरब 39 करोड़ से अधिक है।

हालांकि बढ़ती जनसंख्या से निपटने के लिए परिवार नियोजन जैसे समाधान मौजूद हैं, लेकिन लोगों में इसकी जागरूकता की कमी है। दुनियाभर में इसी बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 11 जुलाई को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे (विश्व जनसंख्या दिवस) मनाया जाता है। 


कब हुई इसकी शुरुआत? 


11 जुलाई 1989 को संयुक्त राष्ट्र ने आम सभा में विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया था। दरअसल, साल 1987 तक दुनिया की जनसंख्या पांच अरब के पास पहुंच चुकी थी, जो चिंता का विषय बन गई थी। इसीलिए दुनियाभर के लोगों को बढ़ती जनसंख्या के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाने की शुरुआत की गई। 

क्या है विश्व जनसंख्या दिवस की थीम? 


इस साल विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम 'कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव' है। इस साल यह वैश्विक स्तर पर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और प्रजनन व्यवहार पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर अधिक प्रकाश डालने के लिए मनाया जाएगा। 

The theme for World Population Day 2021 is “Raise awareness around Women's and Girl's needs for Sexual and Reproductive Health”.



किस तरह मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस? 


इस दिन पूरी दुनिया में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए तरह-तरह से उपायों से लोगों को परिचित कराया जाता है। इसके अलावा परिवार नियोजन के मुद्दे पर भी बातचीत की जाती है। इस दिन जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है, ताकि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सके। 








books