डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवनी - Biography of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan
पूरा नाम | डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
धर्म/जाति | हिन्दू/ब्राह्मणपद |
जन्म | 5 सितम्बर 1888 |
जन्म स्थान | तिरुमनी गाँव, मद्रास |
माता-पिता | सिताम्मा, सर्वपल्ली विरास्वामी |
विवाह | सिवाकमु (1904) |
मृत्यु | 17 अप्रैल 1975 |
.डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के छोटे से गांव तिरुमनी में ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी था, वे विद्वान ब्राम्हण थे. इनके पिता के ऊपर पुरे परिवार की जिम्मदारी थी, इस कारण राधाकृष्णन को बचपन से ही ज्यादा सुख सुविधा नहीं मिली. राधाकृष्णन ने 16 साल की उम्र में अपनी दूर की चचेरी बहन सिवाकमु से शादी कर ली. जिनसे उन्हें 5 बेटी व 1 बेटा हुआ. इनके बेटे का नाम सर्वपल्ली गोपाल है, जो भारत के महान इतिहासकारक थे. राधाकृष्णन जी की पत्नी की मौत 1956 में हो गई थी.
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की शिक्षा
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन
उनके विद्यार्थी जीवन में कई बार उन्हें शिष्यवृत्ति स्वरुप पुरस्कार मिले। उन्होंने वूरहीस महाविद्यालय, वेल्लोर जाना शुरू किया लेकिन बाद में 17 साल की आयु में ही वे मद्रास क्रिस्चियन महाविद्यालय चले गये। जहा 1906 में वे स्नातक हुए और बाद में वही से उन्होंने दर्शनशास्त्र में अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की। उनकी इस उपलब्धि ने उनको उस महाविद्यालय का एक आदर्श विद्यार्थी बनाया।
दर्शनशास्त्र में राधाकृष्णन अपनी इच्छा से नहीं गये थे उन्हें अचानक ही उसमे प्रवेश लेना पड़ा। उनकी आर्थिक स्थिति ख़राब हो जाने के कारण जब उनके एक भाई ने उसी महाविद्यालय से पढाई पूरी की तभी मजबूरन राधाकृष्णन को आगे उसी की दर्शनशास्त्र की किताब लेकर आगे पढना पड़ा।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मिले पुरस्कार
• 1938 ब्रिटिश अकादमी के सभासद के रूप में नियुक्ति।
• 1954 नागरिकत्व का सबसे बड़ा सम्मान, “भारत रत्न”।
• 1954 जर्मन के, “कला और विज्ञानं के विशेषग्य”।
• 1961 जर्मन बुक ट्रेड का “शांति पुरस्कार”।
• 1962 भारतीय शिक्षक दिन संस्था, हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिन के रूप में मनाती है।
• 1963 ब्रिटिश आर्डर ऑफ़ मेरिट का सम्मान।
• 1968 साहित्य अकादमी द्वारा उनका सभासद बनने का सम्मान (ये सम्मान पाने वाले वे पहले व्यक्ति थे)।
• 1975 टेम्पलटन पुरस्कार। अपने जीवन में लोगो को सुशिक्षित बनाने, उनकी सोच बदलने और लोगो में एक-दुसरे के प्रति प्यार बढ़ाने और एकता बनाये रखने के लिए दिया गया। जो उन्होंने उनकी मृत्यु के कुछ महीने पहले ही, टेम्पलटन पुरस्कार की पूरी राशी ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय को दान स्वरुप दी।
• 1989 ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा रशाकृष्णन की याद में “डॉ. राधाकृष्णन शिष्यवृत्ति संस्था” की स्थापना।
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा लिखे गए पुस्तके
• द एथिक्स ऑफ़ वेदांत.
• द फिलासफी ऑफ़ रवीन्द्रनाथ टैगोर.
• माई सर्च फॉर ट्रूथ.
• द रेन ऑफ़ कंटम्परेरी फिलासफी.
• रिलीजन एंड सोसाइटी.
• इंडियन फिलासफी.
• द एसेंसियल ऑफ़ सायकलॉजी.
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु
17 अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद डॉ राधाकृष्णन का निधन हो गया. शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान हमेंशा याद किया जाता है. इसलिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाकर डॉ.राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है.
राधाकृष्णन को मरणोपरांत 1975 में अमेंरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाले यह प्रथम गैर-ईसाई सम्प्रदाय के व्यक्ति थे.
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